Site icon सत्योधर्मावार्ता

नेपाल फिर एक बार कुदरत की चपेट में आया, बाढ़ और भूस्खलन ने ली 60 लोगों की जान।

इस साल नेपाल ने मानसून के मौसम में औसत से अधिक बारिश दर्ज की है जो फिर से तबाही का कारण बनती जा रही है। पिछले 24 घंटों में हो रही कई दिनों की मूसलाधार बारिश में 60 से अधिक लोगों की जान चली गई है और 40 से अधिक लोग घायल हैं। नेपाल सरकार के अनुसार कई लोग अभी भी लापता हैं। काठमांडू घाटी में बाढ़ और भूस्खलन से 34 लोगों की मौत हुई है। 16 लोगों की मौत ललितपुर में, 5 भक्तपुर में और 2 सिंधुपालचोक में इस आपदा के कारण मारे गए हैं।

 

 

पुलिस ने एक बयान जारी किया है जिसमें बताया गया है कि काठमांडू को जोड़ने वाले राजमार्ग समेत लगभग सभी राजमार्ग इस आपदा की वजह से प्रभावित हुए हैं। नेपाल सरकार ने 20,000 पुलिस अधिकारियों को बचाव कार्यों के लिए तैनात किया है। सीनियर पुलिस अधीक्षक विश्व अधिकारी के अनुसार, अकेले काठमांडू घाटी के तीन जिलों में 32 लोगों की मौत हुई है और 15 अभी भी लापता हैं। 1100 लोगों को बाढ़ के पानी में फँसने के बाद बचावकर्मियों द्वारा सफलतापूर्वक बचाया गया है।

नेपाल में 1250 घर बाढ़ के पानी की चपेट में आ गए।

अधिकारी के अनुसार 4 कंक्रीट के घर बाढ़ की वजह से नष्ट हो गए हैं। 1250 से अधिक घर जलमग्न हो गए हैं। जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर के 44 से ज्यादा स्थानों पर राजमार्ग अवरुद्ध हुए हैं। इसी बीच उच्च स्तरीय आपात बैठक हुई है जिसमें प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, शहरी विकास मंत्री प्रकाश मान सिंह ने गृह मंत्री, गृह सचिव और सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख समेत अन्य मंत्रियों को बुलाया था। उनके द्वारा बचाव अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं। इस बाढ़ के कारण मुख्य विद्युत लाइन प्रभावित होने की वजह से काठमांडू में पूरे दिन बिजली नहीं थी लेकिन संध्या के समय बिजली बहाल हो गई।

अब देखना यह होगा कि यह आपदा फिर इस साल कहीं कोई भयंकर रूप लेकर नेपाल में तबाही का मंजर पैदा न कर दे।

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